प्रिय दोस्तों हिंदी दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
इस दिवस पर मेरे एक बहुत ही खास मित्र आलोक राठी द्वारा लिखी गईं इन दो ऊर्जावान कर देने वाली कविताओं को आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा है आपको पसंद आएगी।
तू चले काँपे ज़मीं, तू उठे पर्वत झुके
सागर दे रस्ता तुझे और तू थमे तूफां रुके
ऐसा तेरा हौसला हो ऐसा तेरा वार हो
कदमों पे ये नभ झुके जब तेरी ललकार हो
तेरी हिम्मत तेरी ताक़त तेरा जोश तेरा जुनूं
तेरा जैसा वीर पाकर माटी ये पाए सुकूं
जीत ले तू इस जहां को अब कभी थकना नहीं
बढ़ा चुके जो ये क़दम अब कभी रुकना नहीं
मंजिलें तमाम होंगी तमाम होंगे रास्ते
कंकड़ मिलें पत्थर मिलें राह में थमना नहीं
फूल हों या शूल हों जीत हो या हार हों
‘और बढ़ा चल और बढ़ा चल ‘
मन में यही पुकार हो
रोक होगी टोक होगी विघ्न हों प्रबल सभी
साथ तेरे तू है जब तक तू नहीं निर्बल कभी
उठ , ताल ठोंक, दुन्दुभी का शोर कर ,
तोड़ बाधा, छोड़ डर, जान ख़ुद को मान ख़ुद को
ख़्वाब तू जी ले सभी !!!
पांव ज़मीं पर नज़र में आसमां
एक मेरा हौसला और जहाँ भर के अरमां
नन्हे क़दम हैं लम्बी है डगर
न थकने का वादा किया है
मगर निहत्था सा हूँ तैयारी है
जीत की हिम्मत है अपार हूँ
थोड़ा भयभीत भी भरोसा है
एक दिन जीतूँगा जहाँ
एक मेरा हौसला और जहाँ भर के अरमां..
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